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Writer's pictureRamkrishna Sameriya

कारीगर सीख रहे उद्यमिता के गुण



क्या - बिज़नस थेरेपी वर्कशॉप, इन्क्यूबेशन प्रोग्राम

कब और कहाँ - 1 अप्रैल, ईएसआई, अहमदाबाद, 2 अप्रैल, सफाई विद्यालय, गाँधी आश्रम, अहमदाबाद आयोजक - कारीगर क्लिनिक और पायनियर डॉम

प्रतिभागी - पांच राज्यों के 22 परम्परागत हस्तशिल्प कारीगर


पायनियर डॉम का उद्देश्य ग्रामीण उद्यमियों को उनका उद्यम तेजी से आगे बढानें में मदद करना है. कारीगर क्लिनिक का उद्देश्य परम्परागत कारीगरों को उनकी पहचान दिलाना है. जब दो संगठन मूलतः एक उद्देश्य के लिए एक हो जाते हैं और दिल से दिमाग से काम करते हैं तो कुदरत की सारी ताकत उन्हें मदद करती हैं और यह सब होना मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से खुली आँखों से देखे किसी सपने को जीने जैसा है.


इस अवसर पर ईएसआई के प्रमुख जयेश भाई ने प्रेरक वक्तव्य से हमें प्रोत्साहित किया। कारीगर क्लिनिक के साथी नीलेश भाई और नूपुर को बहुत बहुत धन्यवाद कारीगरों के साथ काम करने का अवसर देने के लिए।

90 दिनों के इस सौ फीसदी एक्शन ओरिएंटेड प्रोग्राम में कारीगर उद्यम को तेजी से आगे बढाने के लिए काम करेंगे.


आज कथित आधुनिकता में भी हमारे गाँव आज भी सैकड़ों सालों की परंपरागत ज्ञान और कला को आगे बढ़ा रहे हैं और हमारे कारीगर कई तरह की कठिनाईयों का सामना करते हुए आगे बढ़ रहे हैं और हजारों, लाखों हाथों को रोजगार दे रहे हैं प्रेम और संवेदना के साथ. एक परिवार की तरह रह रहे हैं.


इस अवसर पर पायनियर डॉम के फाउंडर और बिज़नस रामकृष्ण सामेरिया ने कहा कि पिछले दो दिनों की आवासीय वर्कशॉप में 22 कारीगरों जिनमें से 70 प्रतिशत बहने और 30 प्रतिशत भाई हैं के बीच कब समय बीत गया पता ही नहीं चला. दो दिनों हम सीखाया कम सीखा ज्यादा है. प्यार और दुलार के बीच उनकी आँखों में आगे बढ़ने की चमक थी और हमसे बहुत उम्मीदें हैं. हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है और थोडा डर भी लग रहा है. लेकिन हमारा इरादा बहुत पक्का और प्योर है. हम आगे जरूर बढ़ेंगे और और अभी तो लम्बा सफ़र तय करना है.


कारीगर क्लिनिक के फाउंडर निलेश जी बताया की उनकी संस्था का उद्देश्य कारीगरों को उनकी पहचान दिलाना है और वे अगले दस सालों में 1000 कारीगरों को उधमी बनने में मदद करना चाहते हैं.

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